केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा 1968 से पत्राचार द्वारा हिंदीतरभाषी भारतीयों एवं विदेशी छात्रों को भारत में और भारत से बाहर हिंदी सिखाने का कार्य किया जा रहा है। इस सिखाने की प्रक्रिया को सुगम बनाने के क्रम में संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 क्षेत्रीय भाषाओं एवं हिंदी को लेकर द्विभाषी वार्तालाप पुस्तकों और स्वयंशिक्षक (पुस्तकों) को तैयार करके प्रकाशित करने का क्रम आज तक जारी है।

वार्तालाप पुस्तकों का निर्माण उन लोगों को ध्यान में रखकर किया गया है जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है तथा जो अपने दैनिक जीवन में प्रयोग के लिए हिंदी भाषा के वार्तालाप को सीखना चाहते हैं। यह उन पर्यटकों के लिए भी उपयोगी है जो हिंदी भाषा की उन आधारभूत सरंचनाओं से परिचित होना चाहते हैं जिसे वे हिंदी क्षेत्रों में पर्यटन के दौरान उपयोग में ला सकें। इन पुस्तकों के माध्यम से हिंदी भाषी भी हिंदीतर भाषाओं के शब्दों/वाक्यों से परिचित हो सकते हैं क्योंकि क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द/वाक्य देवनागरी लिपि में भी दिए जाते हैं।

द्विभाषी वार्तालाप पुस्तक को दो भागों में बाँटा गया है। भाग-एक में अभिव्यक्तियाँ और वार्तालाप के वाक्य हैं । भाग-दो में दैनिक प्रयोग में आने वाली व्यावहारिक शब्दावली है। ये वार्तालाप पुस्तकें हिंदी - मूलक भी हैं और क्षेत्रीय भाषा - मूलक भी हैं। वार्तालाप पुस्तकों की सामग्री इस हेतु गठित भाषाविदों तथा विभागीय विशेषज्ञों की समिति द्वारा जाँची तथा परिवर्धित की गई है।

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