अपने संगठन की विशिष्टियां, कृत्य और कर्तव्य

संविधान के अनुच्छेद 351 में निहित विशेष निर्देंशों के अनुपालन के लिए राष्ट्रपति के आदेशानुसार सन् 1960 में केंद्रीय हिंदी निदेशालय की स्थापना हुई। उल्लिखित अनुच्छेद इस प्रकार है:-

"हिंदी भाषा की वृद्धि करना, उसका विकास करना ताकि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सब तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम हो सके, तथा उसकी आत्मीयता में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्तानी और अ‍ष्टम अनुसूची में उल्लिखित अन्य भारतीय भाषाओँ के रूप, शैली और पदावली को आत्मसात करते हुए जहाँ तक आवश्यक या वांछनीय हो वहां उसके शब्द भंडार के लिए मुख्यत: संस्कृत से तथा गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करना संघ का कर्तव्य होगा।"

नीति निर्माता हिंदी को इस रूप में विकसित करने के इच्छुक थे कि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सब तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके। इसीलिए उन्होंने इसे संघ सरकार का कर्तव्य माना। उपर्युक्त नीति निर्देंशों से अपनी प्रतिबद्धता ग्रहण करते हुए, निदेशालय संविधान में निहित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, कई योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है तथा इस प्रकार वह हिंदी के संवर्धन में संघ सरकार के कर्तव्यों का मूर्त रूप से निर्वाह कर रहा है।

निदेशालय का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, गुवाहाटी, हैदराबाद तथा चेन्नई में हैं।

क्षेत्रीय कार्यालय तथा उनके पते

1. उपनिदेशक (पूर्व)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
1,कौंसिल हाउस स्ट्रीट
प्रथम तल, कोलकाता,
पश्चिम बंगाल -700001

(अधिकार क्षेत्र: पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, झारखंड तथा लक्षद्वीप)

2. उपनिदेशक (पूर्वोत्तर)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
मार्फत-दास एंटरप्राइजिस
जय नगर, खानापाड़ा,
गुवाहाटी-781019,
असम

(अधिकार क्षेत्र: असम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय तथा मिजोरम)

3. उपनिदेशक (दक्षिण-पश्चिम)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
केंद्रीय सदन, भूतल कक्ष नं.3 - सुल्तान बाज़ार,
हैदराबाद-500095,
आंध्र प्रदेश

(अधिकार क्षेत्र: आंध्र प्रदेश, तेलंगाना,कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, तथा गोवा)

4. उपनिदेशक (दक्षिण)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
प्रथम तल, खंड-5,
हैडोस रोड, शास्त्री भवन,
चेन्नई-600006,
तमिलनाडु

(अधिकार क्षेत्र: तमिलनाडु, पुदुच्चेरी तथा केरल)

कर्तव्य एवं दायित्व

संघ सरकार का यह मुख्य संस्थान अखिल भारतीय स्तर पर हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने एवं हिंदी के माध्यम से भारत के लोगों के बीच एकता और अखंडता स्थापित करने के निहित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु कड़ी मेहनत कर रहा है तथा निम्नलिखित गतिविधियों द्वारा वैश्विक स्तर पर हिंदी के उचित स्थान को सुनिश्चित कर रहा है:

  • पत्राचार पाठ्यक्रम: हिंदीतर-भाषी भारतीयों तथा विदेशियों को द्वितीय तथा विदेशी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाना। प्रति वर्ष लगभग 8,000 विद्यार्थियों को हिंदी सिखाई जाती है।
  • प्रकाशन: हिंदी और क्षेत्रीय तथा विदेशी भाषाओँ के परस्पर भाषा मूलक कोश तैयार करना तथा हिंदी के शिक्षार्थियों, विद्वानों तथा विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए मानक संदर्भ सामग्री प्रकाशित करना। निदेशालय द्वारा द्विभाषी, त्रिभाषी तथा बहुभाषी कोश एवं वार्तालाप पुस्तिकाएँ तैयार की जा रही हैं। इसके अतिरिक्त मानक पत्रिकाएँ और आवधिक भाषा, वार्षिकी एवं साहित्यमाला भी प्रकाशित की जाती हैं।
  • विस्तार कार्यक्रम
    • हिंदीतर भाषी हिंदी नवलेखकों को हिंदी साहित्य की विविध विधाओं की अधुनातन प्रवृत्तियों से परिचित कराने हेतु शिविर आयोजित करना।
    • छात्र अध्ययन यात्रा : प्रतिवर्ष हिंदीतर-भाषी हिंदी छात्रों के लिए अध्ययन यात्राएं आयोजित की जाती हैं।
    • प्राध्यापक व्याख्यान यात्राएं : ये यात्राएं हिंदीतर-भाषी क्षेत्रों के प्राध्यापकों तथा हिंदीभाषी क्षेत्रों के प्राध्यापकों के बीच विचार-विनिमय का एक मंच प्रदान करती हैं।
    • शोध छात्र अनुदान : हिंदी में शोध कार्य करने हेतु हिंदीतर भाषी छात्रों को अनुदान दिया जाता है।
  • पुरस्कार : हिंदीतर भाषी क्षेत्रों के हिंदी लेखकों को हिंदी में उत्कृष्ट लेखन के लिए प्रतिवर्ष एक-एक लाख रुपए के 19 पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त विज्ञान,प्रौद्योगिकी, शिक्षा तथा शिक्षा नीति पर हिंदी / हिंदीतर भाषी लेखकों द्वारा हिंदी में प्रकाशित उत्कृष्ट मौलिक पुस्तकों के लिए 5 लेखकों को शिक्षा पुरस्कार देने का भी प्रावधान है।
  • स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं को अनुदान : देश के हिंदीतर-भाषी राज्यों में कार्य कर रही स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं को वित्तीय सहायता दी जाती है।यह एक ऐसी विशिष्ट योजना है जिसका उद्देश्य अपने-अपने क्षेत्रों में हिंदी को बढ़ावा देने में स्वैच्छिक रूप से कार्यरत व्यक्तियों के माध्यम से हिंदी का प्रचार-प्रसार करना है और इस प्रकार सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में निजी भागीदारी भी सुनिश्चित होती है।
  • हिंदी में प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता : इस योजना के अंतर्गत, विश्व कोश जैसी संदर्भ पुस्तकें, ज्ञान वर्धक पुस्तकें, विभिन्न विषयों पर आलोचनात्मक पुस्तकें, शब्दकोश आदि के प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।

प्रत्येक योजना से संबंधित विवरण अलग से देखे जा सकते है।

अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की शक्तियाँ और कर्तव्य

  • निदेशक :- केंद्रीय हिंदी निदेशालय के अधिदेश के पालन के उद्देश्य से निदेशालय का समग्र पर्यवेक्षण।
  • प्रधान संपादक :- निदेशालय के प्रकाशनों के संपादन तथा निदेशक द्वारा प्रदत्त अन्य कार्यों के प्रति उत्तरदायी।
  • उपनिदेशक :- सरकार द्वारा केंद्रीय हिंदी निदेशालय को मिले अधिदेश के अनुसार कार्यों के निष्पादन में निदेशक की सहायता करना तथा अपनी तैनाती के अनुसार क्षेत्रीय कार्यालयों का कार्य देखना।
  • सहायक निदेशक,सहायक अनुसंधान अधिकारी / मूल्यांकक :- उन सभी कर्तव्यों का निष्पादन करना जिनका लक्ष्य निदेशालय को मिले अधिदेश के अनुसार उद्देश्यों को प्राप्त करना, जैसे– कोशों का प्रकाशन (हिंदी-हिंदी, हिंदी-क्षेत्रीय भाषाएँ, हिंदी-विदेशी भाषाएँ, हिंदी-पड़ोसी भाषाएँ), शब्दकोशों को अंतिम रूप देने के लिए विद्वानों की बैठक आयोजित करना, आवधिकों, पत्रिका का प्रकाशन, विस्तार कार्यक्रमों का आयोजन, पत्राचार पाठ्यक्रम द्वारा संचालित विविध पाठ्यक्रमों के छात्रों के उत्तर पत्रों का मूल्यांकन, विभिन्न केंद्रों पर आयोजित व्यक्तिगत संपर्क कार्यक्रमों में भाग लेना, सी.डी. तथा मुद्रित रूप में शैक्षिक सामग्री का निर्माण करना, हिंदी के विकास हेतु प्रचार-प्रसार की सभी योजनाओं में भाग लेना। उपरोक्त के अलावा निदेशालय के सभी अधिकारी उन्हें सौंपे गए प्रशासनिक एवं अकादमिक कर्त्तव्यों का निर्वाहन करेंगे।

उपरोक्त के अलावा, निदेशालय के सभी अधिकारी अकादमिक और प्रशासनिक कर्तव्यों का पालन कर सकते हैं, या दोनों जिन्हें निदेशालय और जनता के हित में सौंपा गया है।

निर्णयन प्रक्रिया में पालन की जाने वाली प्रक्रिया जिसमें पर्यवेक्षण और उत्तरदायित्व भी सम्मिलित हैं-

निर्णय लेने की प्रक्रिया

  • निदेशक / विभागाध्यक्ष के पर्यवेक्षणाधीन योजनाओं के संबंध में प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से नियंत्रक मंत्रालय द्वारा गठित विभिन्न बोर्डों तथा समितियों की सिफारिशों के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं तथा प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के पश्चात् वे निर्णय कार्यान्वित किए जाते हैं।
  • संघ सरकार के मंत्रालयों यथा- वित्त मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, शहरी कार्य एवं गरीबी उन्मूलन मंत्रालय आदि द्वारा जारी मार्गनिर्देशों के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं।
  • .संघीय मंत्रालयों द्वारा निर्धारित केंद्रीय सिविल सेवा नियमों के अनुसार प्रशासनिक/स्थापना/वित्त्तीय मामलों पर निर्णय लिए जाते हैं।
  • कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी मार्गनिर्देशों तथा भर्ती नियमों के प्रावधानों के आधार पर भर्ती तथा सुनिश्चित सेवा उन्नयन से संबंधित निर्णय लिए जाते हैं।

अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए स्वयं द्वारा स्थापित मापदंड

  • लिपिकवर्गीय : सरकार के मूल नियमों तथा पूरक नियमों, सामान्य वित्तीय नियमों, वित्तीय शक्तियों के प्रतिनिधान नियमों के प्रावधानानुसार तथा वित्त मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग तथा मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा जारी मार्गनिर्देशों के आधार पर प्रशासनिक, वित्तीय तथा हाउस कीपिंग गतिविधियाँ विनियमित होती हैं।कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी मार्गनिर्देशों तथा भर्ती नियमों के प्रावधानों के अनुसार भर्ती, पदोन्नति, सुनिश्चित सेवा उन्नयन तथा अनुशासनिक कार्रवाई विनियमित होती है।
  • अकादमिक : निदेशालय की अकादमिक गतिविधियाँ - नामत: विभिन्न योजनाएँ - प्रत्येक योजना के निश्चित प्रावधानों के अनुसार विनियमित होती है। प्रभारी मंत्री तथा मंत्रालय द्वारा गठित समितियों की सिफारिशों / सुझावों के आधार पर योजनाओं के कार्यान्वयन संबंधी निर्णय लिए जाते हैं। प्रत्येक योजना के कार्यान्वयन में अनुपालन किए जा रहे नियम तथा विभिन्न समितियों की गठन-विधि योजनाओं के विवरण में उपलब्ध हैं।

अपने द्वारा या अपने नियंत्रणाधीन धारित या अपने कर्मचारियों द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए प्रयोग किए गए नियम, विनियम, अनुदेश, निर्देशिका और अभिलेख

  • गैर सरकारी संस्थाओं तथा व्यक्तियों को वित्तीय सहायता योजना :- वित्तीय सलाहकार (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) तथा वित्त मंत्रालय के परामर्श से नियंत्रक मंत्रालय द्वारा अनुमोदित मार्गनिर्देशों के अनुसार।
  • पुस्तकों का नि:शुल्क वितरण तथा प्रकाशन योजना :- वित्तीय सलाहकार (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) के परामर्श से मंत्रालय द्वारा अनुमोदित मार्गनिर्देशों के अनुसार।
  • अन्य योजनाएँ:-सामान्य वित्तीय नियमों के प्रावधानों, वित्तीय शक्तियों के प्रतिनिधान तथा समय - समय पर वित्त मंत्रालय आदि द्वारा जारी नियमों एवं अनुदेशों के अनुसार।
    • पुरस्कार, वित्तीय सहायता, विभिन्न विस्तार कार्यक्रमों में भागीदारी तथा पुस्तकों की खरीद संबंधी आवेदन समाचार पत्रों/टी.वी./ रेडियो में खुले विज्ञापन के माध्यम से आमंत्रित किए जाते हैं।
    • विभिन्न पदों की नियुक्ति संबंधी संशोधित भर्ती नियम।

ऐसे दस्तावेजों के, जो उसके द्वारा धारित या उसके नियंत्रणाधीन हैं, प्रवर्गों का विवरण

  • केंद्रीय अनुदान समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए केंद्रीय हिंदी निदेशालय के क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा भेजी गई राज्यस्तरीय अनुदान समितियों की सिफारिशें।
  • स्वयंसेवी हिंदी संस्थाओं को वित्तीय सहायता संस्वीकृत करने वाली केंद्रीय अनुदान समिति की बैठकों के कार्यवृत्त।
  • उच्चतर शिक्षा विभाग (भाषा प्रभाग) की हिंदी शिक्षा समिति की बैठकों के कार्यवृत्त।
  • 'हिंदीतर भाषी लेखकों को पुरस्कार' तथा 'शिक्षा पुरस्कार' योजना के अधीन प्रमुख हिंदीतर भाषी हिंदी लेखकों को पुरस्कार देने की सिफारिश करने वाली पुरस्कार समिति की बैठकों के कार्यवृत्त।
  • निदेशालय की हिंदी पुस्तकों की थोक खरीद योजना के अधीन पुस्तक खरीद समिति की बैठकों के कार्यवृत्त।

किसी व्यवस्था की विशिष्टियाँ,जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं

नियंत्रक मंत्रालय द्वारा नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं। अधीनस्थ कार्यालय होने के कारण निदेशालय का अधिकार क्षेत्र, कार्य नियतन नियम तथा कारोबार संचालन नियम के अनुसार, सरकार (नियंत्रक मंत्रालय यथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय) द्वारा बनाई गई नीतियों को लागू करने तक सीमित है। यदि कोई सुझाव जनता की ओर से प्राप्त होता है तो उसे नियंत्रक मंत्रालय तक पहुँचा दिया जाता है। अनुमोदन मिलने पर ही उन सुझावों को संबंधित योजनाओं में शामिल किया जाता है।

ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों का विवरण जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठक जनता के लिए खुली होंगी या ऐसे बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुँच होगी।

नियंत्रक मंत्रालय द्वारा नीतियाँ निर्धारित की जाती हैं। अधीनस्थ कार्यालय होने के कारण निदेशालय का अधिकार क्षेत्र, कार्य नियतन नियम तथा कारोबार संचालन नियम के अनुसार, सरकार (नियंत्रक मंत्रालय) द्वारा बनाई गई नीतियों को लागू करने तक सीमित है। यदि कोई सुझाव जनता की ओर से प्राप्त होता है तो उसे नियंत्रक मंत्रालय तक पहुँचा दिया जाता है। अनुमोदन मिलने पर ही उन सुझावों को संबंधित योजनाओं में शामिल किया जाता है।

केंद्रीय हिंदी निदेशालय की विभिन्न उच्चस्तरीय समितियों का गठन:

विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन में निदेशालय को परामर्श देने वाली समितियों का गठन मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा दो वर्ष के लिए किया जाता है। निदेशालय की विभिन्न योजनाओं के लिए विद्यमान समितियां निम्न प्रकार से हैं :

  • अनुदान समिति
  • हिंदीतर-भाषी क्षेत्रों के हिंदी लेखकों के लिए पुरस्कार समिति
  • शिक्षा पुरस्कार समिति
  • हिंदीतर भाषी क्षेत्रो में नि:शुल्क वितरण के लिए हिंदी पुस्तकों की खरीद समिति
  • हिंदी शिक्षा समिति

केंद्रीय हिंदी निदेशालय की विभिन्न उच्चस्तरीय समितियों का गठन

(क) अनुदान समिति:

क्रमांक समितियां -
1 ब्यूरो प्रमुख, भाषा प्रभाग / संयुक्त सचिव (भाषाएँ) अध्यक्ष
2 हिंदी साहित्य एवं भाषा विज्ञान के तीन विशिष्ट विद्वान माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा नामित तीन सदस्य
3 सचिव, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय सदस्य
4 निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा सदस्य
5 सचिव, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली सदस्य
6 निदेशक, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली सदस्य
7 निदेशक, मुद्रण निदेशालय, भारत सरकार, नई दिल्ली सदस्य
8 वित्तीय सलाहकार, एकीकृत वित्त प्रभाग, उच्चतर शिक्षा विभाग सदस्य
9 उप सचिव (भाषाएँ) / निदेशक (भाषाएँ) सदस्य
10 हिंदी विद्वानों / स्वैच्छिक हिंदी संस्था के प्रतिनिधि/ अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ के प्रतिनिधि माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा नामित विशेष आमंत्रित
11 उपाध्यक्ष, हिंदी शिक्षा समिति, नई दिल्ली विशेष आमंत्रित
12 निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली सदस्य सचिव

केंद्रीय हिंदी निदेशालय की विभिन्न उच्चस्तरीय समितियों का गठन

(ख) हिंदीतर भाषी क्षेत्रों के हिंदी लेखकों के लिए पुरस्कार समिति

क्रमांक समितियां -
1 संयुक्त सचिव (भाषाएँ) अध्यक्ष
2 मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा नामित पाँच प्रसिद्ध हिंदी विद्वान सदस्य
3 निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय सदस्य सचिव

समिति का गठन प्रत्येक दो वर्ष के लिए किया जाता है।

(ग) शिक्षा पुरस्कार समिति

क्रमांक समितियां -
1 संयुक्त सचिव (भाषाएँ) अध्यक्ष
2 मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा नामित तीन प्रसिद्ध विद्वान/ लेखक सदस्य
3 निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय सदस्य सचिव

(घ) हिंदीतर भाषी क्षेत्रों में नि:शुल्क वितरण के लिए हिंदी पुस्तकों की खरीद समिति

क्रमांक समितियां -
1 संयुक्त सचिव (भाषाएँ) अध्यक्ष
2 विख्यात हिंदी आलोचक सदस्य (एक)
3 प्रसिद्ध हिंदी लेखक सदस्य (एक)
4 नप्रसिद्ध हिंदी पत्रकार सदस्य (एक)
5 नभारतीय दर्शन, धर्म तथा संस्कृति के विद्वान सदस्य (एक)
6 हिंदीतरभाषी क्षेत्रों के हिंदी विद्वान सदस्य (एक)
7 निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय सदस्य सचिव

(च) हिंदी शिक्षा समिति: हिंदी शिक्षा समिति का गठन तीन वर्ष के कार्यकाल के लिए प्रत्येक तीन वर्ष में किया जाता है।

गठन :

क्रमांक समितियां -
1 मानव संसाधन विकास मंत्री अध्यक्ष
2 लोक सभा अध्यक्ष द्वारा नामित लोक सभा के चार सदस्य तथा राज्य सभा के सभापति द्वारा नामित राज्य सभा के दो सदस्य सदस्य
3 सचिव, उच्चतर शिक्षा विभाग सदस्य
4 सचिव, राजभाषा विभाग सदस्य
5 संयुक्त सचिव (भाषाएँ)/ संयुक्त शिक्षा सलाहकार (भाषाएँ) सदस्य
6 अध्यक्ष, वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग सदस्य
7 हिंदीतर भाषी राज्यों की सरकारों द्वारा नामित प्रत्येक राज्य से एक-एक प्रतिनिधि सदस्य
8 अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ का एक प्रतिनिधि सदस्य
9 निम्नलिखित स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं से प्रत्येक का एक-एक प्रतिनिधि:
1 महासचिव, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास -
2 राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा -
3 मुंबई हिंदी विद्यापीठ, मुंबई -
4 गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद -
5 कर्नाटक हिंदी महिला सेवा समिति, बंगलौर -
6 केरल हिंदी प्रचार सभा, त्रिवेंद्रम -
7 मणिपुर राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, इंफाल -
8 मिजोरम हिंदी प्रचार समिति, आइजॉल -
9 राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, गुवाहाटी -
10 तीन विख्यात हिंदी विद्वान -
11 दो भाषाविद् -
12 निदेशक / उप सचिव, भाषा प्रभाग स्थायी आमंत्रित
13 निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय सदस्य सचिव

कार्यकाल

समिति के सदस्यों का कार्यकाल मूल रूप से 3 वर्ष के दिसंबर तक का होगा क्योंकि यह माना जाता है कि यह कार्य प्रदान करता है:

  • धारा 2-3 के तहत नामित एक सदस्य संसद सदस्य बनने के लिए समाप्त होते ही समिति का सदस्य बनना बंद कर देगा।
  • समिति के पदेन सदस्य सदस्यों के रूप में इतने लंबे समय तक जारी रहेंगे, जब तक कि वे सदन के सदस्य हैं, जिसके द्वारा वे समिति के सदस्य हैं।
  • अन्य नामित सदस्य भारत सरकार की प्रसन्नता के दौरान पद धारण करेंगे।
  • यदि किसी सदस्य के त्यागपत्र, मृत्यु आदि के कारण समिति पर कोई स्थान खाली हो जाता है, तो उस पद पर नियुक्त सदस्य शेष समिति के कार्यकाल के लिए पद धारण करेगा।

कोरम

समिति की बैठकों का कोरम समिति की कुल सदस्यता का एक तिहाई होगा।

कार्य

समिति देश में हिंदी के प्रचार - प्रसार एवं संवर्धन से संबंधित नीति संबंधी मामलों में भारत सरकार को परामर्श देगी।

कार्यकारिणी उपसमिति

समिति को अपने विभिन्न कार्यों के प्रभावी निर्वहन में सक्षम बनाने के उद्देश्य से एक कार्यकारिणी समिति नियुक्त की जा सकती है। इस उपसमिति के सदस्यों की संख्या अधिक से अधिक 15 होगी जो कि अध्यक्ष द्वारा नामित किए जाएँगे। अध्यक्ष को या तो समिति के सदस्यों में से अथवा बाहर से ऐसे व्यक्तियों के सह-चयन का अधिकार होगा जो देश में हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन में आने वाली कठिनाइयों के समाधान हेतु विशेष ज्ञान एवं अनुभव रखते हैं।

सहायिकी कार्यक्रमों के निष्पादन की रीति जिसमें आबंटित राशि और ऐसे कार्यक्रमों के लाभार्थियों के ब्यौरे सम्मिलित हैं।

निदेशालय द्वारा निम्नलिखित तरीकों से आर्थिक सहायता दी जाती है:

  • देश के हिंदीतर भाषी राज्यों में हिंदी के संवर्धन के लिए स्वैच्छिक हिंदी सेवी संस्थाओं को कुल अनुमोदित व्यय के 75% तक की वित्तीय सहायता।
  • हिंदी में पांडुलिपियों के प्रकाशन हेतु लेखकों को कुल अनुमोदित व्यय के 80% के बराबर प्रकाशन अनुदान।
  • हिंदी के संवर्धन में रत पुस्तकालयों, संस्थाओं तथा अन्य संगठनों को हिंदी पुस्तकों का नि:शुल्क वितरण।
    • लाभान्वितों की सूची तथा आर्थिक सहायता की राशि संबंधी विवरण निम्न प्रकार से हैं।
    • निष्पादन का तरीका : खुले विज्ञापन के द्वारा आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं तथा संबंध समितियों की सिफारिशों के आधार पर आर्थिक सहायता संस्वीकृत की जाती है| स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं को वित्तीय सहायता देने के संबंध में केंद्रीय हिंदी निदेशालय के कोलकाता, गुवाहाटी, हैदराबाद तथा चेन्नई में स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से आवेदन प्राप्त किए जाते हैं।
  • "हिंदी के प्रोत्साहन हेतु स्वैच्छिक हिंदी संगठनों को वित्तीय सहायता" योजना के अंतर्गत विगत तीन वर्षों के दौरान विविध "स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं" (VHOs) को जारी की गई धनराशि का विवरण।
  • हिंदी की प्रोन्नति के लिए स्वैच्छिक हिंदी संस्थाओं को वित्तीय सहायता योजना के अंतर्गत पिछले दो वर्ष में जारी अनुदान राशि का विवरण।

अपने द्वारा अनुदत्त रियायतों, अनुज्ञापत्रों या प्राधिकारों के प्राप्तिकर्ताओं की विशिष्टियाँ लागू नहीं

किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में सूचना के संबंध में ब्यौरे जो उसको उपलब्ध हों या उसके द्वारा धारित हों

  • केंद्रीय हिंदी निदेशालय की वेबसाइट www.chd.mhrd.gov.inएन.आई.सी. के क्लाउड पर उपलब्ध है।
  • हिंदी सीखने वालों के लिए व्याकरण के विभिन्न आयामों पर उपलब्ध सी.डी/ डी.वी.डी, ऑडियो / वीडियो ।
  • केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा तैयार किए गए कुछ कोशों की सी. डी.।

सूचना अभिप्राप्त करने के लिए नागरिकों को उपलब्ध सुविधाओं की विशिष्टियाँ, जिनमें किसी पुस्तकालय या वाचन कक्ष के, यदि लोक उपयोग के लिए अनुरक्षित है तो, कार्यकरण घंटे सम्मिलित हैं।

नागरिक निदेशालय के जन सूचना अधिकारी, उपनिदेशक (समन्वय) तथा निदेशक से मिलने का समय लेने के बाद निदेशालय के कार्यों के बारे में कोई भी जानकारी ले सकते हैं|

लोक सूचना अधिकारियों के नाम, पदनाम और अन्य विशिष्टियां

1. प्रथम अपीलीय अधिकारी
श्री.बाबू लाल मीना
उपनिदेशक (भाषा)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
मानव संसाधन विकास मंत्रालय
(उच्चतर शिक्षा विभाग)
पश्चिमी खंड -VII, आर. के. पुरम,
नई दिल्ली - 110066
ई-मेल:babulalmeena[dot]edu[at]gov[dot]in
फोन नं. +91-11-26105211, एक्सटेंशन नं.-223
फैक्स नं.- +91-11-26101220

2. जन सूचना अधिकारी
श्री शैलेश बिडालिया
सहायक निदेशक (भाषा)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय,
मानव संसाधन विकास मंत्रालय,
(उच्चतर शिक्षा विभाग)
पश्चिमी खंड -VII , आर. के. पुरम
नई दिल्ली - 110066
ई-मेल:shailesh[dot]edu[at]gov[dot]in
फोन नं. – +91-11-26105211, एक्सटेंशन नं.-213
फैक्स नं.- +91-11-26101220

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